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सोच के देखो !

नफरत का यह सिलसिला,

कब तक चलता रहेगा?

धरम के नाम से हैवानियत,

कब तक यूँ ही चलेगा?

ताक़त के गुरुर में मज़हब को,

नफरत का जरिया बना दिया, 

इंसानियत रंग दी खून में, और 

धरती को जंग का मैदान बना दिया!

इस मारने, मिटाने के लड़ाई मेँ,

कुछ, अपनों को भुला बैठे हैं!

धर्म का पट्टी बांध आँखों मेँ,

कुछ, रिश्तों से ही ऐंठे हैं!

खून की इस होली में,

अपनी चलाई गोली में,

मानवता ही मर जायेगा !

किस के लिए लड़े यह जंग,

सब अपने ही तो मरेंगे, 

और तू ने क्या सोचा हे,

तू ही जिन्दा बच जायेगा! 

सोच, उसके बाद का,

क्या नज़ारा होगा! 

लाशें ही लाशें हर तरफ,

अपनों का बिखरा होगा! 

एक चंडाशोक था संसार में, 

उसे तो मुक्ति मिल गयी। 

मिटा दिया होगा जब संसार,

तुम्हे रास्ता कौन दिखायेगा!

जिन्दा रह भी गया तो सोच,

अकेले धरती पे क्या करेगा! 

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दुनिया के आईने में – एक शायर 🌙🖤

हर दिल की दास्ताँ हर शख्स को दिखानी नहीं, कुछ जज़्बात ऐसे हैं जो बयान की जानी नहीं। मत बनो वो दस्तावेज़, जिसे सब पढ़ जाएँ, जहालत के दौर में हर पन्ना फाड़ जाएँ। जब फ़ायदों की फ़सल थी, हर कोई साथ था, काम खत्म होते ही, सब चेहरे बदल गए। मोहब्बत को तौलते हैं वो बंदे ज़माने वाले, नफ़ा-नुक़सान की नज़र से देखते हैं खामोश क़िस्से। ज़ख़्म वही देते हैं, जो हँस के थाम लेते हैं हाथ, मोहब्बत की क़ीमत कभी नहीं समझ पाते साथ। रिश्तों की दुकान लगी है, इंसानियत कहीं खो गई, सुकून की तलाश में, खुद से दूर हो गया । चुप्पी को सँवारो अपनी सबसे बड़ी ताक़त बना, हर शोर में छुपा है कोई ग़म, कोई कहानी अधूरी। खुली किताब न बनो, हर किसी के लिए यहाँ, इस अंधेरे सफ़र में, सिर्फ़ वो जलते हैं जो समझें। — ✍️ आशुतोष पाणिग्राही।

🌟 हौसलों की उड़ान 🌟

जो चल पड़े सवेरा देख, हर राह नहीं वो पाए, जो ठान ले इरादा पक्का, मंज़िल वही तो लाए। हर तेज़ उड़ान का मतलब, मंज़िल पाना नहीं होता, जो धरती से जुड़ा रहे, वही आसमान की ऊँचाई छूता। जो थक कर बैठ जाए, वो रुकावट में खो जाए, जो दृढ़ संकल्प रखे दिल में, वही सीतारा बन जाए। वक़्त से पहले जागना ही समझदारी की बात नहीं, धैर्य से जो खेले बाज़ी, हार उसकी औकात नहीं। कई बार देर से चलने वाला, सबसे आगे मिलता है, जो जुनून से जले अंदर, वही दीपक बन जाता है। जीत उसी की होती है जो, हालातों से ना घबराए, वक़्त, मेहनत और जज़्बा, जब साथ चले — कमाल दिखाए। ✨🔥 — ✍️ आशुतोष पाणिग्राही।