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संदेश

दुनिया के आईने में – एक शायर 🌙🖤

हर दिल की दास्ताँ हर शख्स को दिखानी नहीं, कुछ जज़्बात ऐसे हैं जो बयान की जानी नहीं। मत बनो वो दस्तावेज़, जिसे सब पढ़ जाएँ, जहालत के दौर में हर पन्ना फाड़ जाएँ। जब फ़ायदों की फ़सल थी, हर कोई साथ था, काम खत्म होते ही, सब चेहरे बदल गए। मोहब्बत को तौलते हैं वो बंदे ज़माने वाले, नफ़ा-नुक़सान की नज़र से देखते हैं खामोश क़िस्से। ज़ख़्म वही देते हैं, जो हँस के थाम लेते हैं हाथ, मोहब्बत की क़ीमत कभी नहीं समझ पाते साथ। रिश्तों की दुकान लगी है, इंसानियत कहीं खो गई, सुकून की तलाश में, खुद से दूर हो गया । चुप्पी को सँवारो अपनी सबसे बड़ी ताक़त बना, हर शोर में छुपा है कोई ग़म, कोई कहानी अधूरी। खुली किताब न बनो, हर किसी के लिए यहाँ, इस अंधेरे सफ़र में, सिर्फ़ वो जलते हैं जो समझें। — ✍️ आशुतोष पाणिग्राही।
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🌟 हौसलों की उड़ान 🌟

जो चल पड़े सवेरा देख, हर राह नहीं वो पाए, जो ठान ले इरादा पक्का, मंज़िल वही तो लाए। हर तेज़ उड़ान का मतलब, मंज़िल पाना नहीं होता, जो धरती से जुड़ा रहे, वही आसमान की ऊँचाई छूता। जो थक कर बैठ जाए, वो रुकावट में खो जाए, जो दृढ़ संकल्प रखे दिल में, वही सीतारा बन जाए। वक़्त से पहले जागना ही समझदारी की बात नहीं, धैर्य से जो खेले बाज़ी, हार उसकी औकात नहीं। कई बार देर से चलने वाला, सबसे आगे मिलता है, जो जुनून से जले अंदर, वही दीपक बन जाता है। जीत उसी की होती है जो, हालातों से ना घबराए, वक़्त, मेहनत और जज़्बा, जब साथ चले — कमाल दिखाए। ✨🔥 — ✍️ आशुतोष पाणिग्राही।

उम्मीदों की शाम

उम्मीदों की शाम **************** सोमवार की शाम कुछ थकी-थकी सी है, रात की चादर में सिमटी हुई सी है, दिनभर की दौड़ में उलझे हुए हैं हम, पर उम्मीदों की लौ अब भी जली हुई सी है। शहर की रौशनी में हल्की खामोशी है, दिल में कहीं थोड़ी सी बेकरारी सी है, सपने जो सुबह के संग देखे थे हमने, वो अब भी निगाहों में जागी हुई सी है। शाम की ठंडक में सुकून थोड़ा है, कल की सुबह का ख्याल अभी ज़िंदा है, सोचते हैं कि थकान मिटा लें आज की, क्योंकि हर दिन के साथ एक नया सपना है। शुभ संध्या #शुभ_संध्या #GoodEvening

कांग्रेस के शासनकाल में भारत को मुस्लिम देश बनाने का प्रयास: संविधान और कानूनों के माध्यम से मुस्लिम तुष्टीकरण !

कांग्रेस के शासनकाल में भारत को मुस्लिम देश बनाने का प्रयास: संविधान और कानूनों के माध्यम से मुस्लिम तुष्टीकरण ! कांग्रेस का शासनकाल भारतीय राजनीतिक इतिहास में सबसे लंबे समय तक रहा है, और इसी दौरान भारत में कई नीतिगत निर्णय लिए गए जो मुस्लिम समुदाय के पक्ष में प्रतीत होते हैं। हालाँकि, कांग्रेस ने सीधे तौर पर कभी भारत को मुस्लिम देश घोषित नहीं किया, लेकिन उसके कई कदम और कानूनी फैसले इस दिशा में संकेत देते हैं। संविधान के माध्यम से मुस्लिम तुष्टीकरण की नीतियाँ अपनाने और कई विशेष कानूनों को पारित करने की कोशिशें की गईं, जिनका उद्देश्य स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय को लाभ पहुंचाना था। इस लेख में, हम विस्तार से उन कानूनों, नीतियों, और घटनाओं पर चर्चा करेंगे जो कांग्रेस के शासनकाल में मुस्लिम समुदाय के पक्ष में पारित किए गए। ये घटनाएँ यह दिखाती हैं कि किस प्रकार कांग्रेस ने बार-बार भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भेदभाव करते हुए मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति अपनाई। 1. संविधान सभा और धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा भारत की संविधान सभा में धर्मनिरपेक्षता पर काफी लंबी बहस हुई। कांग्रेस ने संविधान मे...

जाति जनगणना: भारत के लिए कितना जरूरी कदम?

जाति सदियों से भारत के सामाजिक ताने-बाने का एक अभिन्न अंग रही है, जो सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता, राजनीतिक समीकरणों और सार्वजनिक नीतियों को गहराई से प्रभावित करती रही है। हाल के वर्षों में, जाति जनगणना कराने पर बहस ने गति पकड़ ली है, विभिन्न राजनीतिक दल, विशेषकर कांग्रेस, इसकी वकालत कर रहे हैं। यह लेख भारत में जाति जनगणना की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है, इसके फायदे और नुकसान की खोज करता है, और कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए राजनीतिक निहितार्थों की जांच करता है। जाति जनगणना क्या है? जाति जनगणना में जनसंख्या की जाति संरचना पर डेटा एकत्र करना शामिल है। अंतिम जाति-आधारित डेटा संग्रह 1931 में किया गया था। नए सिरे से जाति जनगणना की मांग बढ़ रही है, समर्थकों का तर्क है कि यह विभिन्न जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की स्पष्ट तस्वीर प्रदान करेगा, अधिक प्रभावी नीति निर्माण में मदद करेगा और कार्यान्वयन। जाति जनगणना के फायदे ! नीति निर्माण के लिए सटीक डेटा: एक जाति जनगणना विभिन्न जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर सटीक डेटा प्रदान कर सकती है। इससे समाज के सबसे वंचित वर्गों को अधिक प्रभावी ढंग से ल...

मेनिफेस्टो फेसऑफ़ 2024: कांग्रेस बनाम बीजेपी!

2024 के लिए कांग्रेस और भाजपा के घोषणापत्रों का तुलनात्मक विश्लेषण। चुनावों की हलचल और लोकतंत्र के उत्साह के बीच, देश उत्सुकता से उन ब्लूप्रिंट के अनावरण का इंतजार कर रहा है जो उसके भविष्य को आकार देने का वादा करते हैं। जैसे-जैसे राजनीतिक दल चुनावी मुकाबले के लिए कमर कस रहे हैं, घोषणापत्र का अनावरण एक महत्वपूर्ण क्षण बन जाता है, जो उनकी दृष्टि, नीतियों और वादों की एक झलक पेश करता है। इस लेख में, हम 2024 के लिए कांग्रेस और भाजपा के घोषणापत्रों द्वारा प्रस्तुत विरोधाभासी आख्यानों की गहराई से पड़ताल करते हैं, और देश की प्रगति के लिए उनके द्वारा प्रस्तावित अलग-अलग रास्तों की खोज करते हैं। इस यात्रा में हमारे साथ शामिल हों क्योंकि हम वादों का विश्लेषण करते हैं, प्राथमिकताओं को तौलते हैं, और प्रत्येक घोषणापत्र में भारत के लिए निहित नियति को पहचानते हैं। कांग्रेस घोषणापत्र 2024 की 10 प्रमुख बातें: 1. 30 लाख सरकारी नौकरियों का सृजन. 2. किसानों की कर्जमाफी. 3. किसी गरीब महिला को सालाना 1 लाख रुपये प्रदान करना। 4. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी। 5. पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) क...

"पना संक्रांति: जगन्नाथ की भूमि में ओडिया नव वर्ष की शुरुआत"

"पना संक्रांति: जगन्नाथ की भूमि में ओडिया नव वर्ष की शुरुआत" जैसे ही सूर्य क्षितिज पर उगता है, हवा बेल फल की मीठी सुगंध और हर्षित हँसी की ध्वनि लाती है। ओडिया नव वर्ष "पना ​​संक्रांति" में आपका स्वागत है , जहां ओडिशा का जीवंत राज्य नई शुरुआत के उत्सव के साथ जीवंत हो उठता है। यह रंगीन त्योहार, जिसे "महा विशुब संक्रांति" या "मेष संक्रांति" के नाम से भी जाना जाता है, पारंपरिक हिंदू सौर कैलेंडर माह मेष (मेष) की शुरुआत का प्रतीक है और पूरे राज्य में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। लाखों लोगों के दिलों पर कब्जा करने वाले इस अनोखे त्योहार के इतिहास, महत्व और परंपराओं के बारे में जानने के लिए हमसे जुड़ें। ◾️ ◾️ ◾️ इतिहास और उत्पत्ति: माना जाता है कि पना संक्रांति की उत्पत्ति ओडिशा की प्राचीन कृषि संस्कृति से हुई थी, जहां से नए कृषि वर्ष की शुरुआत होती थी। यह त्यौहार सदियों से मनाया जाता रहा है, ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि कलिंग और उत्कल राजवंशों के दौरान भी इसकी उपस्थिति थी। ऐसा माना जाता है कि पुरी के प्रसिद्ध जगन्‍नाथ मंदिर के पीठासीन देवत...