कांग्रेस के शासनकाल में भारत को मुस्लिम देश बनाने का प्रयास: संविधान और कानूनों के माध्यम से मुस्लिम तुष्टीकरण !
कांग्रेस के शासनकाल में भारत को मुस्लिम देश बनाने का प्रयास: संविधान और कानूनों के माध्यम से मुस्लिम तुष्टीकरण !
कांग्रेस का शासनकाल भारतीय राजनीतिक इतिहास में सबसे लंबे समय तक रहा है, और इसी दौरान भारत में कई नीतिगत निर्णय लिए गए जो मुस्लिम समुदाय के पक्ष में प्रतीत होते हैं। हालाँकि, कांग्रेस ने सीधे तौर पर कभी भारत को मुस्लिम देश घोषित नहीं किया, लेकिन उसके कई कदम और कानूनी फैसले इस दिशा में संकेत देते हैं। संविधान के माध्यम से मुस्लिम तुष्टीकरण की नीतियाँ अपनाने और कई विशेष कानूनों को पारित करने की कोशिशें की गईं, जिनका उद्देश्य स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय को लाभ पहुंचाना था।
इस लेख में, हम विस्तार से उन कानूनों, नीतियों, और घटनाओं पर चर्चा करेंगे जो कांग्रेस के शासनकाल में मुस्लिम समुदाय के पक्ष में पारित किए गए। ये घटनाएँ यह दिखाती हैं कि किस प्रकार कांग्रेस ने बार-बार भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भेदभाव करते हुए मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति अपनाई।
1. संविधान सभा और धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा
भारत की संविधान सभा में धर्मनिरपेक्षता पर काफी लंबी बहस हुई। कांग्रेस ने संविधान में धर्मनिरपेक्षता की बात की, लेकिन उसके फैसले कई बार धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ और मुस्लिम समुदाय को विशेष प्राथमिकता देने वाले रहे। अनुच्छेद 25 से 30 तक के प्रावधान, जो धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों से संबंधित हैं, कई बार इस दिशा में देखे गए कि ये मुस्लिम समुदाय को विशेष लाभ देने के लिए बनाए गए थे। यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस ने संविधान का उपयोग करते हुए मुस्लिम तुष्टीकरण को कानूनी मान्यता दी।
सच्चर समिति और मुस्लिम तुष्टीकरण
2005 में कांग्रेस सरकार द्वारा स्थापित सच्चर समिति ने देश में मुस्लिम समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति की समीक्षा की। इस रिपोर्ट के आधार पर, कांग्रेस ने कई योजनाएँ और नीतियाँ लागू कीं, जो विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के लिए थीं। हालाँकि, इस रिपोर्ट की आलोचना भी की गई, क्योंकि इसमें अन्य अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यक हिंदू समुदाय की स्थिति का विश्लेषण नहीं किया गया। इस रिपोर्ट के बाद, कई योजनाएँ जैसे शिक्षा, रोजगार और आर्थिक सहायता विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गईं, जिससे कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति और स्पष्ट हो गई।
2. मुस्लिम पर्सनल लॉ और शाह बानो केस
1985 में सुप्रीम कोर्ट के शाह बानो मामले में मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया था। हालांकि, मुस्लिम धार्मिक नेताओं के दबाव में कांग्रेस ने मुस्लिम महिला (विवाह विच्छेद के अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 पारित किया, जिसने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उलट दिया। यह निर्णय कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति का स्पष्ट उदाहरण है। इस कानून ने मुस्लिम महिलाओं के साथ समानता के अधिकार का हनन किया और यह दिखाया कि कांग्रेस मुस्लिम कट्टरपंथियों के दबाव में झुक गई थी।
3. हज सब्सिडी: मुस्लिमों के लिए विशेष प्रावधान
कांग्रेस के शासनकाल के दौरान, हज यात्रियों को सब्सिडी दी गई, जो करीब 60 वर्षों तक जारी रही। हज यात्रा एक धार्मिक अनुष्ठान है, और इसे सरकारी सहायता से प्रोत्साहित करना कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टीकरण नीति का हिस्सा था। इसे भी मुस्लिम समुदाय को विशेष लाभ देने के रूप में देखा गया और यह आरोप लगा कि कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम समुदाय को खुश करने के लिए इसे जारी रखा। यह नीति भी कांग्रेस की सरकार की तरफ से मुस्लिम तुष्टीकरण का एक और उदाहरण है।
4. मदरसा शिक्षा और मदरसों को अनुदान
कांग्रेस सरकार ने मदरसा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ शुरू कीं, जिसमें मदरसों को आधुनिकीकरण के नाम पर वित्तीय सहायता दी गई। यह भी कांग्रेस के शासनकाल के दौरान देखा गया कि मदरसा शिक्षा को विशेष प्राथमिकता दी गई, जबकि भारतीय शिक्षा प्रणाली के अन्य हिस्सों को वैसा समर्थन नहीं मिला। राष्ट्रीय मदरसा आधुनिकीकरण योजना और अन्य मदरसों के लिए सरकारी अनुदान कांग्रेस की नीति को दर्शाते हैं, जिसमें मुस्लिम समुदाय को विशेष रूप से बढ़ावा देने की कोशिश की गई।
5. बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण
कांग्रेस के शासनकाल में असम और पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठियों को पहचान पत्र और वोट देने का अधिकार दिया गया, जिससे उन्हें भारतीय नागरिकता मिल सके। यह कदम कांग्रेस की वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा माना गया, जिसमें मुस्लिम तुष्टीकरण को बढ़ावा देने की कोशिश की गई। इस मुद्दे पर भी कई बार कांग्रेस पर आरोप लगाए गए कि उसने अपने राजनीतिक लाभ के लिए मुस्लिम घुसपैठियों को संरक्षण दिया।
6. मुस्लिम तुष्टीकरण और आतंकवाद
कांग्रेस के शासनकाल में आतंकवाद से जुड़े मामलों में नरमी बरतने का आरोप लगा। विशेष रूप से अफजल गुरु जैसे आतंकवादियों की फांसी को टाला गया। इसके अलावा, कई ऐसे आतंकवादी मामले थे, जिनमें कांग्रेस ने निर्णय लेने में ढील दी, जिससे यह आरोप लगा कि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण के कारण आतंकवाद के मुद्दे पर सख्त कदम नहीं उठा रही थी।
निष्कर्ष: कांग्रेस की साजिश और मुस्लिम तुष्टीकरण
कांग्रेस के शासनकाल में बार-बार मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति अपनाई गई। चाहे वह मुस्लिम पर्सनल लॉ का मुद्दा हो, मदरसों के लिए विशेष अनुदान हो, या फिर बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देने का मामला हो, कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय के पक्ष में कई निर्णय लिए। हालांकि, कांग्रेस भारत को आधिकारिक रूप से एक मुस्लिम देश घोषित नहीं कर पाई, लेकिन उसकी नीतियों ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि वह मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के माध्यम से भारत को उस दिशा में धकेलने का प्रयास कर रही थी।
स्रोत:
- सच्चर समिति रिपोर्ट - सच्चर समिति रिपोर्ट
- शाह बानो केस - शाह बानो केस का इतिहास
- हज सब्सिडी - हज सब्सिडी समाप्ति
कांग्रेस की तुष्टीकरण नीति ने देश के विकास और सामाजिक समरसता में बाधा डाली, जो भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि के खिलाफ थी।
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