सुबह सुबह कुछ अवसाद-सा था,
कुछ सुस्त था तन।
था कुछ उदास-सा मन,
सोच रहा था कुछ बेखयाली में,
जाने कहाँ था मगन!
फ़ोन की घंटी बजी, लगा,
माँ का कॉल आया होगा।
फ़ोन उठाते ही महसूस हुआ,
मेरी खामोशी सुन ली थी उसने,
फिर प्यारी-सी आवाज़ आयी,
और हाल चाल पूछने लगी।
सवाल अलग-अलग थे, पर
जवाब एक ही सुनना चाहती थी!
जैसे भनक लग गयी थी
उसे मेरे परेशानियों की!
और पक्का करना चाहती थी,
की बेटा सही सलामत है।
में कहता रहा, में ठीक हूँ,
उसके हाल चाल पूछना चाहा,
पर सवाल उसके और मेरा जवाब,
ख़त्म ही न हो रहा!
बात करके माँ से,
मन मेरा हल्का हो गया था,
पर एक सवाल भगवान से था।
मेरे परेशानियों का एहसास,
उसको हर बार कैसे हो जाती हे!
सवाल ध्यान से सुन कर,
भगवान् ने भी बोला,
माँ तो माँ ही होती है।
Good
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