माँ, बहिन, पत्नी, बेटी
नारी तेरे कितने रूप!
वरदान है इंसान के लिए,
तेरे सारे, सारे स्वरुप।
माँ बनके जन्म दिया,
दुनिया का हर कष्ट सहा,
बहिन के रूप में दोस्त बनके,
जाने कितने नखरे उठाये!
पत्नी बनके ईश्वर बना दिया!
अपनों से बढ़के प्यार किया,
बनके बेटी जो जन्म लिया,
हर सुख दुःख में साथ दिया।
रमणी, कामिनी, कान्ता, बनिता
जाने कितने नाम हैं तेरे,
स्त्री, अबला, औरत, सुंदरी,नारी,
जाने क्या क्या संसार पुकारे,
तुझ ही से सृष्टि, तुझ ही से विनाश,
तू ही न जाने, कितनी शक्तियां तेरे पास!
दुनिया में सबसे शोषित,
दलित और उपेक्षित,
फिर भी तू चाहे सबका हित।
दो कुलों की तू हितैषी,
इसलिए तू दुहिता !
तू शक्ति, तू नारायणी,
युगे युगे नारी तू सदा बंदिता।
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