इंसानी जिंदगी बड़ी बिचित्र है,
हर पल हर घडी
बदलता यहाँ चित्र है!
मौके पे सोता है
तक़दीर को रोता है ,
अक्स बदलता है ऐसे,
सूरज से होड़ लगी हो जैसे !
हर स्पर्धा जितना है यहाँ,
चाहे रिश्ते नाते छूट जाये!
पैसे से तोलता सब कुछ,
अपनों का भरोसा चाहे टूट जाये!
मोह माया की पट्टी आँखों पे,
इज्जत है तार तार!
फिर क्यों कीचड़ में उतरे,
फिर आँसुओं से धोये बार बार!
कर्म को कर बुलंद इतना,
खुदा भी बिन मांगे दे!
हौशला हो आस्मां की बुलंदी पे,
रख भरोसा इतनी खुद पे।
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