जो चल पड़े सवेरा देख, हर राह नहीं वो पाए, जो ठान ले इरादा पक्का, मंज़िल वही तो लाए। हर तेज़ उड़ान का मतलब, मंज़िल पाना नहीं होता, जो धरती से जुड़ा रहे, वही आसमान की ऊँचाई छूता। जो थक कर बैठ जाए, वो रुकावट में खो जाए, जो दृढ़ संकल्प रखे दिल में, वही सीतारा बन जाए। वक़्त से पहले जागना ही समझदारी की बात नहीं, धैर्य से जो खेले बाज़ी, हार उसकी औकात नहीं। कई बार देर से चलने वाला, सबसे आगे मिलता है, जो जुनून से जले अंदर, वही दीपक बन जाता है। जीत उसी की होती है जो, हालातों से ना घबराए, वक़्त, मेहनत और जज़्बा, जब साथ चले — कमाल दिखाए। ✨🔥 — ✍️ आशुतोष पाणिग्राही।
Easy going, spontaneous poetry to express ones feelings.