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पुलिस का अंतर्मन

जनता के हर बार कि शिकायत है, पुलिस हमेशा देर से आती है ! पर जनता यह नहीं बताती है, की वारदात का, पेहले तो वह खुद मज़ा लेती है, बात जब हद से बढ़ जाये, फिर पुलिस को सूचना देती है।  जनता की शिकायत पे, पुलिस का यह कहना है,  कानून की देवी अंधी है, सबूत उसका नैना है।  वारदात से पहले पहुँच जाए, तो प्रमाण कहाँ मिलना है!  पहुंचने को वक़्त से पहले, संसाधन कहाँ से लाएं? हम तो जनता के बीच कम, दीखते हैं विआईपियों के दाएं बाएं!  एक तो पुलिस में बल कम, नेताओं के सेवा में तोड़ते दम।  एक बार हमे इन नेताओं के  बगल से हटा के देखो! जनता की रक्षा हम करेंगे! बहु बेटियों के दुश्मनो को, चुन चुन के मारेंगे।   न दूसरा कोई निर्भया,अंकिता होगी, न ही कन्हैयालाल होगा ! हर दरिंदे का अंग अंग लाल होगा ! हर जुल्मी को, अपने करनी का मलाल होगा ! इतनी सी छूट देके सरकार देखो,  राम राज्य फिर से बहाल होगा !